हर नागरिक के अकाउंट में 15 लाख देने का वादा करके सरकार बनाने वाले मोदी ने पिछले 8 सालो में रेल भेल गेल बैंक बीमा बेचने के बाद भी देश को सवा सौ लाख करोड़ रुपए के कर्ज़ में डुबाया
संसद में बताया गया है देश पर कुल कर्ज़ क़रीब सवा सौ लाख करोड़ रुपए हो गया है । यानि हर नागरिक के हिस्से में लाख रुपये के आसपास की क़र्ज़दारों की देनदारियाँ तैयार हैं जिन्हें विभिन्न टैक्सों के ज़रिए चुकाते रहना है।
एक स्कूल ड्राप आउट और फ़र्ज़ी डिग्री को असली बताकर इस देश के प्रधानमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी ने लोगों को पंद्रह लाख का प्रलोभन देकर सत्ता पर क़ब्ज़ा तो कर लिया। लेकिन सरकार चलने में नाकाम साबित हो रहे है।
सबके खाते में पंद्रह-पंद्रह लाख आने का सपना दिखने वाली मोदी सरकार खुद कर्ज़े में डूबी है
अब जाकर संसद में बताया गया है देश पर कुल कर्ज़ क़रीब सवा सौ लाख करोड़ रुपए हो गया है । यानि हर नागरिक के हिस्से में लाख रुपये के आसपास की क़र्ज़दारों की देनदारियाँ तैयार हैं जिन्हें विभिन्न टैक्सों के ज़रिए चुकाते रहना है।
70 साल की तुलना में डेढ़ सौ परसेंट की तरक्की सिर्फ़ कर्जदारी के क्षेत्र में हुई है
मनमोहन सिंह सरकार ने जब 2014 मई में सत्ता BJP को सौंपी थी तब यह क़र्ज़ इस रक़म का क़रीब 40% ही था। यानि बीते आठ साल में रेल भेल गेल बैंक बीमा सब टुकड़े- टुकड़े बेचने के बावजूद बीते सत्तर साल की तुलना में डेढ़ सौ परसेंट की तरक़्क़ी सिर्फ़ क़र्ज़दार बनने में हुई है ।
कर्जेवाली सरकार को जनता की नहीं पूंजीपतियों की है ज्यादा चिंता
आज ही वित्त मंत्रालय के हवाले से खबर आई है कि सरकार कुछ महीने में बाजार से पैसे उधार लेने जा रहीं है। पैसो की तंगी के कारण उधार लेने वाली केंद्र सरकार अपने करीबियों का कर्ज़ा माफ़ कर रहीं है। सरकार के अधीन आने वाला SBI बैंक अदानी ग्रुप का 12770 करोड़ का क़र्ज़ माफ़ करने जा रहीं है। वही दूसरी तरफ़ भारतीय वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार 2022-23 के पहले छह महीने में उधार लेकर 8.45 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है ताकि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए राजस्व अंतर को पूरा किया जा सके।
सरकार से तो उम्मीद नहीं बची है शायद अब हम आम जनता को भगवान ही बचा सकता है।
बोलो जै सियाराम