बढ़ती गर्मी के साथ बढ़े नींबू के दाम, महंगाई ने आम आदमी को नीचोड़ा – कीमत बढ़कर ₹400 प्रति किलो तक हुई
बढ़ती महंगाई के दौर में बढ़े हुए नींबू के दामों ने आम आदमी का मन खट्टा कर दिया है। नींबू के दाम बढ़ कर ₹400 तक हो गए हैं।
चुनाव खत्म होने के साथ ही आम आदमी को महंगाई के एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं हाल ही में नींबू के बढ़े हुए दामों ने सबका ध्यान अपनी और आकर्षित किया है।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद परिवहन लागत में वृद्धि के कारण राजधानी दिल्ली में सब्जियों की कीमतों में तेजी आई है सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि उनकी बिक्री कम हो गई है और परिवहन लागत बढ़ने और खरीद मूल्य में अंतिम वृद्धि के कारण मुनाफा कम हो गया है।
गर्मी के मौसम के आगमन के साथ नींबू की कीमतें आसमान छू गई हैं और एक नींबू ₹10 में बिक रहा है। विक्रेताओं ने बढ़ी कीमत पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि उपभोक्ता इस खट्टे फल को इतनी अधिक कीमत पर खरीदने के लिए तैयार नहीं है।
एक सब्जी विक्रेता ने मीडिया को बताया कि कीमतें वास्तव में बहुत बढ़ गई है, पहले जो नींबू की बोरी ₹700 में खरीदी जाती थी उसकी कीमत बढ़कर अब ₹3500 हो चुकी है और एक नींबू को ₹10 में बेचा जा रहा है। कोई इसे खरीदने को तैयार नहीं है और ना मानने को तैयार है कि नहीं है कि कीमत इतनी ज्यादा बढ़ गई है। लोग बिना उसे खरीदे ही वापस चले जा रहे हैं।
कहां कितने बढ़ गए नींबू के दाम?
पिछले एक महीने की बात की जाए तो जहां मार्च की शुरुआत में नींबू करीब 70 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा था, वहीं अब यह कीमतें कई जगहों पर 400 रुपये तक पहुंच गई हैं। हालांकि, अलग-अलग मंडियों में दूरी के हिसाब से नींबू की कीमतें अलग-अलग हैं। मौजूदा समय में सबसे सस्ता नींबू 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लखनऊ की मंडी में मिल रहा है। उधर सबसे ज्यादा कीमत दिल्ली और जयपुर में हैं, जहां सब्जी मंडियों में यह 350 से 400 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रहा है।
नींबू दाम बढ़ने की वजह क्या है?
1. मौसम की वजह से नुकसान
दिल्ली की सब्जी मंडियों में नींबू की कीमतें 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ी हैं। नींबू कारोबारियों के अनुसार नींबू के दाम बढ़ने की वजह पिछले साल गुजरात में आया तूफान है। तूफान के कारण से नींबू के फूल झड़ गए। साथ ही नींबू की झाड़ियों को भी काफी नुकसान पहुंचा।
इसके अलावा दो और राज्य तेलंगाना-आंध्र प्रदेश का भी नींबू की पैदावार में बड़ा स्थान हैं। वहां भी चक्रवाती तूफानों के कारण से बारिश का ऐसा असर रहा कि नींबू की फसल नष्ट होती चली गई। नींबू के पेड़ों को बड़ा भारी नुकसान पहुंचा।
2. कीमत नहीं मिलने से कम हुई खरीद
इसके अलावा दो साल से कोरोना काल में नींबू की सही कीमत न मिलने की वजह से किसानों ने इस बार नींबू की पैदावार में कोई खास दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। इसका नतीजा यह हुआ कि इस बार बाजार में नींबू काफी कम है। इस समय बीजापुर, गुंटूर, हैदराबाद, विजयवाड़ा से रोजाना 25 से 30 गाड़ियां ही नींबू निकलती हैं। पिछले साल इस समय के दौरान रोजाना 100 से 150 गाड़ियां निकलती थीं।
3. तेल के दाम बढ़ने का भी असर
भारत में पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते दामों का असर सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट पर भी पड़ा है। फिलहाल कीमतों में करीब 15 फीसदी तक के इजाफे की बात कही जा रही है। इसका असर न सिर्फ नींबू की कीमत में देखा जा रहा है, बल्कि कई और मौसमी सब्जियां भी लगातार महंगी होती जा रही है।
4. सॉफ्ट ड्रिंक उद्योग और त्योहारों का सीजन
इसके अलावा भारत में रमजान और कुछ अन्य त्योहारों की वजह से नींबू की डिमांड में भी बढ़ोतरी हुई। कम आवक और नींबू खरीद के लिए मची इस मारामारी ने नींबू का दाम बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
दूसरी तरफ गर्मी का मौसम आते ही सॉफ्ट ड्रिंक से जुड़े उद्योगों ने नींबू उत्पादकों को बड़े ऑर्डर देना शुरू कर दिया है, ताकि लेमन ड्रिंक्स बनाने में नींबूओं का इस्तेमाल किया जा सके। सप्लाई और डिमांड के इस अंतर ने भी नींबू की कीमतों में कमाल का इजाफा किया है।