एमवे इंडिया: क्या होगी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की राह खत्म?
मनी-लॉन्ड्रिंग जांच में पाया गया कि एमवे ने 1996-97 के दौरान भारत में शेयर पूंजी के रूप में 21.39 करोड़ रुपये लाए और वित्तीय वर्ष 2020-21 तक, इसने 2,859.1 करोड़ रुपये की विशाल राशि प्रेषित की।
ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कंपनी की 757 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क करने के बाद एमवे इंडिया मुश्किल में है। एमवे के प्रवक्ता ने कहा कि वे बकाया मुद्दों के निष्पक्ष, कानूनी और तार्किक निष्कर्ष की दिशा में अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं।
एमवे इंडिया देश की जानी-मानी मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) और डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों में से एक है। चीन, अमेरिका, जापान, थाईलैंड और ताइवान के साथ-साथ भारत एमवे के लिए एक प्रमुख बाजार रहा है।
एमवे के लिए ईडी का बयान
ईडी ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि कंपनी डायरेक्ट-सेलिंग एमएलएम नेटवर्क की आड़ में पिरामिड ‘धोखाधड़ी’ चलाकर ‘घोटाला’ कर रही है।
ईडी ने एमवे पर आरोप लगाया, “एमवे का पूरा फोकस यह प्रचार करने पर है कि सदस्य कैसे सदस्य बनकर अमीर बन सकते हैं। प्रोडक्टस पर कोई फोकस नहीं है। एमएलएम पिरामिड धोखाधड़ी को डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के रूप में करने के लिए प्रोडक्टस का इस्तेमाल किया जाता है।”
मनी लॉन्ड्रिंग
- ईडी ने एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत एक अस्थायी आदेश जारी किया।
- इसने कहा कि कंपनी पर ” मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कैम” चलाने का आरोप लगा था।
- कुर्क हुई संपत्तियों में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में स्थित एमवे की जमीन और फैक्ट्री की इमारतें, प्लांट और मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और सावधि जमा शामिल हैं।
- जांच में शामिल अधिकारियों ने कहा कि कंपनी देश में वर्षों से काम कर रही थी और कई लोग इसकी एमएलएम योजना से जुड़े थे।
- एजेंसी ने कहा कि कुल कुर्की मूल्य में से अचल और चल संपत्ति 411.83 करोड़ रुपये है, जबकि बाकी 345.94 करोड़ रुपये एमवे के 36 बैंक खातों में जमा किए गए हैं।
भव्य जीवन शैली
- ईडी ने कहा कि कंपनी ने 2002-03 से 2021-22 के दौरान अपने व्यवसाय संचालन से कुल 27,562 करोड़ रुपये एकत्र किए और इसमें से 2002 से भारत और अमेरिका में अपने वितरकों और सदस्यों को 7,588 करोड़ रुपये का “भुगतान” किया। 2002-03 से 2020-21 तक, पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार।
- ब्रिट वर्ल्डवाइड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और नेटवर्क ट्वेंटी वन प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों ने भी श्रृंखला प्रणाली में सदस्यों के एनरोलमेंट द्वारा माल की बिक्री की आड़ में सदस्यों में शामिल होने के लिए सेमिनार आयोजित करके एमवे की पिरामिड योजना को प्रमोट करने में “प्रमुख भूमिका” निभाई।
- मनी-लॉन्ड्रिंग जांच में पाया गया कि एमवे के द्वारा 1996-97 के दौरान भारत में शेयर पूंजी के रूप में 21.39 करोड़ रुपये लाए गए और वित्तीय वर्ष 2020-21 तक, इसने डिविडेंड, रॉयल्टी और अन्य के नाम पर 2,859.1 करोड़ रुपये की राशि रीएमीट की।
- ईडी ने कहा, “प्रमोटर्स मेगा सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं और अपनी भव्य जीवन शैली का दिखावा कर रहे हैं और भोले-भाले निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं।”
एमवे इंडिया का डिफेंस
एमवे ने बताया कि ईडी की कार्रवाई 2011 की जांच के संबंध में थी और तब से, कंपनी एजेंसी के साथ पूरा सहयोग कर रही है और समय-समय पर मांगी गई सभी सूचनाओं को पूरी तरह साझा करती रही है।
प्रवक्ता ने कहा, “एमवे के पास उच्चतम स्तर की ईमानदारी, अखंडता, कॉर्पोरेट प्रशासन और उपभोक्ता संरक्षण को बनाए रखने का एक संपन्न इतिहास है, जो बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं के फायदे के लिए समय से बहुत आगे है।”
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (डायरेक्ट सेलिंग) नियम, 2021 के अनुसार डायरेक्ट सेलिंग को सम्मिलित करने से उद्योग के लिए बहुत आवश्यक कानूनी और नियामक स्पष्टता आई है, जबकि एमवे भारत की भावना और सभी कानून और विनियम के निरंतर अनुपालन की पुष्टि करता है।
प्रवक्ता ने कहा, “चूंकि यह मामला अभी विचाराधीन है इसलिए हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते है।”
केंद्र ने दिसंबर 2021 में, डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों को पिरामिड और मनी-सर्कुलेशन योजनाओं को बढ़ावा देने से प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि इसने डायरेक्ट सेलिंग उद्योग के लिए नए नियमों को अधिसूचित किया था।