राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल जनरेटर सेट पर प्रतिबंध के लिए समय सीमा बढ़ाए सरकार: उद्योग
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल जनरेटर सेट पर प्रतिबंध के लिए समय सीमा बढ़ाए सरकार: उद्योग
उद्योग जगत ने सरकार से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में डीजल जनरेटरों पर पाबंदी की समयसीमा बढ़ाने का आग्रह किया है। उसने राष्ट्रीय राजधानी और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आदेश के पालन में आ रही व्यावहारिक चुनौतियों का हवाला देते हुए निर्देश पर विचार करने और उसे कम-से-कम एक साल के लिये आगे बढ़ाये जाने का अनुरोध किया है।
डीजल जेनरेटर-सेट (डीजी सेट) पर एक अक्टूबर से प्रतिबंध लगाने की समयसीमा करीब आने के साथ उद्योग ने यह अनुरोध किया है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उसने उद्योग की तरफ से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को इस संदर्भ में प्रतिवेदन देकर डीजी सेट को पीएनजी / सीएनजी या दोहरी हाइब्रिड प्रौद्योगिकी तथा उसमें उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाने की समयसीमा एक साल बढ़ाने का सुझाव दिया है।
सीआईआई के हरियाणा इकाई के चेयरमैन और भारत सीट्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रोहित रेलन ने कहा, “सीआईआई सतत प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिये स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकी बदलाव को लेकर उठाये गये कदम की सराहना करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, बहुत कम कारखाने डीजल जनरेटर की जगह पीएनजी-आधारित जनरेटर अपनाने में सक्षम हुए हैं। इसका कारण ऐसे जनरेटर के विनिर्माण का सीमित होना है। साथ ही इकाइयों को आपूर्ति दिल्ली एनसीआर के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों तक ही सीमित है।’’
रेलन ने कहा कि इसके अलावा दोहरे ईंधन वाले किट और आरईसीडी (रेट्रोफिटेड उत्सर्जन नियंत्रण उपकरणों) की भारी कमी है, जो विनिर्माण इकाइयों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रही है।’’
उल्लेखनीय है कि सीएक्यूएम के आठ फरवरी, 2022 को जारी आदेश के अनुसार सर्दियों में प्रदूषण को देखते हुए एक अक्टूबर, 2022 से डीजल से चलने वाले जनरेटर सेट का उपयोग करना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में अवैध होगा।
निर्देश के अनुसार, मौजूदा डीजल जनरेटर सेट को हाइब्रिड यानी दो ईंधन (70 प्रतिशत गैस ईंधन और 30 प्रतिशत डीजल) के उपयोग वाले जनरेटर में बदलना होगा। साथ ही ऐसे डीजल जनरेटर में उत्सर्जन नियंत्रण उपकरण लगाने की जरूरत होगी।
सीआईआई दिल्ली के चेयरमैन और जेके सीमेंट लि. के उप प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) माधव सिंघानिया ने कहा, ‘‘… छूट तब तक जरूरी है जब तक कि सभी विनिर्माण के लिए उपयुक्त किफायती तकनीक उपलब्ध न हो जाए।’’