खुद के देश में जनता का महंगाई से तेल निकालने वाले मोदी ने श्रीलंका को 1 बिलियन डॉलर की राशि दान में दी
भारत की आर्थिक मदद से श्रीलंका चावल, गेहूं का आटा, दाल, चीनी और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की खरीदी करेगी।
भारत श्रीलंका आर्थिक संकट: श्रीलंका ने अपने सबसे खराब आर्थिक संकट के बीच आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भारत से एक बार फिर $ 1 बिलियन की अतिरिक्त मदद मांगी है। सोमवार को सूत्रों से पता लगा कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बारे में कोलंबो के साथ बातचीत की है। आपको बता दे कि गुरुवार को ही दोनों देशों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए है जिसमे भारत ने 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन की मदद की है।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ट्वीट किया, “पड़ोसी पहले. भारत श्रीलंका के साथ खड़ा है। जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन पर हस्ताक्षर किए गए। जो कि भारत द्वारा दिए गए समर्थन के पैकेज का प्रमुख हिस्सा है।”
भारत श्रीलंका आर्थिक संकट: 1 बिलियन की मदद कर चुका हैं भारत
दरअसल जनवरी 2020 के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में 70% की गिरावट के बाद श्रीलंका भोजन और ईंधन जैसे आवश्यक चीज़ों के लिए भी संघर्ष कर रहा है। इस द्वीप राष्ट्र के मुद्रा अवमूल्यन होने के कारण अब यह वैश्विक उधारदाताओं से मदद लेने का प्रयास कर रहे है। भारत श्रीलंका को आर्थिक मदद देने के लिए आगे आया है। सूत्रों के मुताबिक़ भारत की आर्थिक मदद से श्रीलंका चावल, गेहूं का आटा, दाल, चीनी और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की खरीदी करेगी।
श्रीलंका को आर्थिक मदद करने वाले भारत की आम जनता खुद महंगाई से है परेशान
आपको बता दे कि भारत में पिछले सात दिनों से लगातार छह बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ चुके हैं। सोमवार को पेट्रोल की कीमत में 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 35 पैसे की बढ़ोतरी की बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ़ 7 दिन के भीतर ही पेट्रोल 4 रुपया महंगा हो चुका है। रविवार को ही पेट्रोल की कीमत में 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 55 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई थी।
दूसरे देश का पेट भरने वाले भारत में रहने वाले लोग खुद महंगाई की मार झेल रहे है। 2022 के जनवरी महीने में खुदरा महंगाई दर पिछले महीने के 5.66 फीसदी से बढ़कर 6.01 फीसदी पर जा चुकी है। आपको बता दे कि खुदरा महंगाई दर का ये आंकड़ा छह महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर है।
दरअसल भारत में आये दिन सब्जी-तेल से लेकर ईंधन जैसी ज़रूरी सुविधा के दाम बढ़ते जा रहे हैं। खाने के तेल, महंगी साग-सब्जियों और महंगे पेट्रोल, डीजल, बिजली के चलते खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी साफ़ नज़र आ रही है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक़ खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी के पार जा चुकी है जो आरबीआई (RBI) के बर्दाश्त की सीमा 6 फीसदी से ऊपर है।
सिर्फ़ खाने पीने में ही नहीं बल्कि रिटेल महंगाई की मार भी झेल रहा है भारत। रिटेल महंगाई दर बढ़ने के कारण उच्च उपभोक्ता वस्तुओं और टेलीकॉम टैरिफ कीमतों पर भी असर हुआ है। खाद्य मुद्रास्फीति भी जनवरी में बढ़कर 5.43% हो गई है, जो पिछले वर्ष दिसंबर में 4.05% थी। जनवरी महीने में तेल और वसा खंड में मुद्रास्फीति बढ़कर 18.7% हो गई, जबकि ईंधन और बिजली में महंगाई दर जनवरी में 9.32% पर बनी रही।
यही नहीं 2021 को देखें तो भारत में अप्रैल से शुरू होकर लगातार आठ महीने से थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति दहाई अंक में बनी हुई है। साल 2021 में अक्तूबर में महंगाई दर 12.54 फीसदी थी, जो बढ़कर नवंबर में 14.23 के स्तर पर पहुंच गई यानी इसमें 1.69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
किसी दूसरे देश की मदद करना गलत नहीं है,लेकिन अपने देश को लोगों की तकलीफ़ों को अनदेखा कर के बाहर मदद करना चिंता का विषय हैं। हर व्यक्ति अपना और अपने परिवार का पेट भरने के बाद ही बाहर दान पुण्य करता है। ठीक इसी प्रकार भारत के माननीय प्रधानमंत्री को पहले अपने देश की जनता के दुख दूर करने का प्रयास करना चाहिए, उसके बाद दूसरे देश का। इन सभी आकड़ों के माध्यम से यह साफ़ पता लग रहा है कि भारत में आम जनता महंगाई और गरीबी से बेहद परेशान है।