पेट्रोल के लगातार रेट बढ़ाकर, किसी खास फिल्म को किया जा रहा है टैक्स फ्री, ये कैसी राजनीति है?
कश्मीर फाइल्स ने रविवार तक वैश्विक स्तर पर 250 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है।
भारत में दिन-प्रतिदिन बढ़ती महंगाई का सच किसी से छुपा नहीं हैं। सोमवार को पेट्रोल की कीमत में 30 पैसे प्रति लीटर और डीजल में 35 पैसे की बढ़ोतरी की गई। पिछले एक सप्ताह में छठी बार महंगा हुआ है पेट्रोल। बढ़ते दामों पर सरकार ये कहकर सफाई देती है कि आगे से ही तेल महंगा आ रहा हैं।
क्यों बढ़ रहे है पेट्रोल-डीजल के दाम?
भारत में पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी से जुड़ा डर कभी खत्म होता नहीं दिख रहा है। कई लोग इस बढ़ती कीमत के लिए कच्चे तेल को जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन इसका असल कारण कुछ अलग है। आपको बता दे कि कच्चा तेल सस्ता उतना महंगा नहीं होता जितने में हमे मिलता है। दरअसल पेट्रोल-डीजल महंगे होने का सबसे बड़ा कारण है राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लगाए गए कर। सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स के कारण आये दिन पेट्रोल की कीमत बढ़ती जा रही हैं।
चूंकि पेट्रोल जीएसटी के तहत नहीं आता है, इसलिए इसकी कीमत राज्यों में अलग-अलग होती है। हालांकि, उत्पाद शुल्क, डीलर कमीशन, लागू वैट, आदि के साथ लागत और माल ढुलाई की कीमतों पर विचार करते समय, यह पाया गया है कि पेट्रोल पर टैक्स इसकी वास्तविक लागत से अधिक है। भारत में तेल विपणन कंपनियां खुदरा कीमतें तय करती हैं। इसलिए भारत में पेट्रोल की खुदरा कीमत इंडियन ऑयल मार्केटिंग कंपनी द्वारा निर्धारित की जाती है, जो देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी है। सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क जोड़ा है, जिसने इसे उपभोक्ताओं के लिए बेहद महंगा बना दिया है।
‘द कश्मीर फाइल्स’ कई राज्यों में हुई टैक्स फ्री
सामाजिक मुद्दे पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ 11 मार्च को रिलीज हुई थी। रिलीज के बाद से ही फिल्म ने खूब चर्चा बटोरी। 1990 में कश्मीरी पंडितो के पलायन पर बनी इस फिल्म पर जमकर राजनीती की गई। कई राज्यों ने अपनी राजनीती चमकाने के लिए इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया। यह फिल्म उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, गोवा और त्रिपुरा राज्यों में टैक्स फ्री है। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स ने रविवार तक वैश्विक स्तर पर 250 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसी फिल्म को टैक्स फ्री करने का क्या मतलब होता है?
किसी भी फिल्म पर कैसे लगता है टैक्स?
थिएटर में बिकने वाली फिल्म की टिकट के दो हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा बेस प्राइज का होता है और दूसरा हिस्सा टैक्स का होता है जो टिकट पर लगता है। किसी भी फिल्म का बेस प्राइज फिल्म के बजट पर निर्भर करता है। इस टिकट पर जो भी टैक्स लगता है उस टैक्स को राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी के रूप में बांटा जाता है। 2017-2018 में GST आने से पहले फिल्मो की टिकट पर एंटरटेनमेंट टैक्स लगता था। फिल्म की टिकट पर कितना एंटरटेनमेंट टैक्स लगेगा, इसका फैसला राज्य सरकारें करती है।
2017 में GST के आने के बाद राज्यों के हाथ से मनमाना एंटरटेनमेंट टैक्स लेने का हक़ छीन लिया गया था। केंद्र सरकार ने तय किया कि देश के हर हिस्से में फिल्मों की टिकट पर 28 प्रतिशत GST लगेग और ये GST राज्य और केंद्र सरकार के बीच बराबर- बराबर बंटेगा।
किसी भी फिल्म को टैक्स फ्री कैसे किया जाता है?
जब किसी फिल्म को किसी राज्य में टैक्स फ्री कर दिया जाता है तो उसका मतलब होता है कि संबंधित राज्य उस फिल्म की टिकट की बिक्री पर अपने हिस्से का जीएसटी नहीं वसूलेगा, यानि कि वह फिल्म टिकट पर अपने हिस्से का स्टेट जीएसटी माफ करता है। सरकार फिल्म निर्माताओं से टैक्स का हिस्सा नहीं लेते है। राज्य सरकार की इस छूट से फिल्म की टिकट सस्ती हो जाती है।
फिल्म पर टैक्स छूट देकर महंगाई बढ़ाना कितना सही है?
भारतीय सिनेमा सरकार की टैक्स वसूली का एक बड़ा हिस्सा है। ऐसे में किसी फिल्म को टैक्स फ्री करना सरकार के खजाने में कमी लाता है। भारत में बढ़ते तेल के दाम इसके अलावा फल-सब्जी ,ईधन जैसे अन्य बुनियादी चीज़ों के बढ़ते दाम आम लोगों की कमर तोड़ रहे है। आपको बता दे कि 2022 के जनवरी महीने में खुदरा महंगाई दर पिछले महीने के 5.66 फीसदी से बढ़कर 6.01 फीसदी पर जा चुकी है। आपको बता दे कि खुदरा महंगाई दर का ये आंकड़ा छह महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर है।
रिटेल महंगाई दर बढ़ने के कारण उच्च उपभोक्ता वस्तुओं और टेलीकॉम टैरिफ कीमतों पर भी असर हुआ है। खाद्य मुद्रास्फीति भी जनवरी में बढ़कर 5.43% हो गई है, जो पिछले वर्ष दिसंबर में 4.05% थी। जनवरी महीने में तेल और वसा खंड में मुद्रास्फीति बढ़कर 18.7% हो गई, जबकि ईंधन और बिजली में महंगाई दर जनवरी में 9.32% पर बनी रही।