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एक तरफ सरकार चाइनीज ऐप को बैन कर रहीं है, दूसरी ओर बाजार में चाइना के फ़ोन का है कब्ज़ा

चाइना के स्मार्टफोंस ब्रांड्स की बाजार में 99 फीसद तक हिस्सेदारी पहुंच गई है। घाटा खाकर भी ये चीनी कंपनियां भारतीय बाजार को हथिया रही हैं।

जब भी भारत का चीन के साथ कोई विवाद होता हैं सबसे पहले लोग चाइनीज चीज़ों के बहिष्कार की बात करने लगते हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने 54 से अधिक चीनी ऐप्स को भारतीयों की निजता और सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए बैन कर दिया हैं। बैन किए गए 54 ऐप्स की लिस्ट में अधिकतर ऐप्स ऐसे थे जो चीन की दिग्गज कंपनियों- Tencent, Alibaba और NetEase से संबंधित थे। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर ऐप्स 2020 में बैन किए गए ऐप्स का “रीब्रांडेड या रीक्रिस्टेड अवतार” थे।

2020 से भारत सरकार अबतक 224 से ज्यादा चाइनीज ऐप्स कर चुकी हैं बैन

जानकारी के मुताबिक़ जून 2020 से अबतक भारत सरकार 224 से ज्यादा चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लगा चुकी है। पहली बार में भारत ने चाईना के 59 ऐप्स को बैन किया था, जिसमें TikTok, Shareit, WeChat, Helo, Likee, UC News, Bigo Live, UC Browser, ES File Explorer, और Mi Community जैसे मशहूर नाम शामिल थे।

Chinese Apps and India's ban - Where do we stand now? | TechRadar

भारत में 99 प्रतिशत लोग चाइनीज फ़ोन इस्तेमाल करते हैं

क्या आपको पता हैं भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर चीनी ब्रांड्स का कब्जा है, आईडीसी के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 15 करोड़ स्मार्टफोन बिकते हैं। चाइना के स्मार्टफोंस ब्रांड्स की बाजार में 99 फीसद तक हिस्सेदारी पहुंच गई है। घाटा खाकर भी ये चीनी कंपनियां भारतीय बाजार को हथिया रही हैं। 1.75 लाख करोड़ रुपए वाले भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर चाइना का कब्जा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वॉल्यूम के हिसाब से भारतीय स्मार्टफोन बाजार में चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी 99 फीसदी हो गई है।

साल-दरसाल चाइना ने फ़ोन मार्किट पर किया कब्ज़ा

मार्केट रिसर्च फर्म टेकआर्क के आकड़े बेहद चौकाने वाले हैं। आपको बता दे कि देश के स्मार्टफोन बाजार में चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी साल 2015 में 32 फीसदी थी। यह 2016 में बढ़कर 47 फीसद, फिर 2017 में 79 फीसद, 2018 में 88 फीसद, 2019 में 97 फीसद और 2020 में बढ़कर 99 फीसद तक पहुंच चुकी हैं। मतलब भारतीय ब्रांड्स की बाजार में हिस्सेदारी घटकर 1 फीसद रह गई। अब वैल्यू के आधार पर बाजार हिस्सेदारी की बात करें, तो भारतीय स्मार्टफोन बाजार में चीनी ब्रांड्स की बाजार हिस्सेदारी साल 2015 में 17.8 फीसद थी. यह अब 2021 में बढ़कर 64.5 फीसद हो चुकी है।

Top Chinese Phone Brands and Their Best-Selling Models in India – Pandaily

भारतीय मोबाइल कारोबारियों का कहना है कि चीनी कंपनियां कीमतों में भारी छूट देने के चलते भारत में अपने पैर जमा चुकी हैं। हालांकि, चाइनीज कंपनियों को इसके लिए भारत में बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ा है। उदाहरण के लिए, चाइनीज फ़ोन वीवो को भारत में वित्त वर्ष 2020 में 349 करोड़ रुपये और ओप्पो को 2,203 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

क्या चाइनीज ऐप बैन कर के चाइनीज फ़ोन इस्तेमाल करना ठीक हैं

जैसा की हमने आकड़ों के ज़रिये बताया कि किस तरह हम भारतीय चाइनीज फ़ोन के दीवाने हैं। चाइना के फ़ोन लोगों को सस्ते और टिकाऊ लगते है, ऐसे में क्या आपको लगता है हम चाइनीज चीज़ों से पूरी तरह छुटकारा पा सकते है? सरकार ने इस बार ऐप बैन करने के पीछे भारतीयों की निजता और सुरक्षा का हवाला दिया है। जब एक चाइनीज ऐप हमारी निजता के लिए खतरा है तो चाइना का फ़ोन कैसे सुरक्षित है? अगर भारत चाइना का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना चाहता है तो ऐप के अलावा अन्य चीज़ों का भी बहिष्कार करे। शायद ये आपके लिए बेहद मुश्किल होगा। सरकार के लिए चाइना के ऐप बैन करना मुश्किल काम नहीं है, लेकिन चाइनीज फ़ोन बैन करना बेहद मुश्किल है। क्योंकि सरकार को भी यह बात पता है कि भारतीय बाजार इस वक़्त चाइना की तरह सस्ते फ़ोन का निर्माण नहीं कर सकता हैं।

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