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भूमंडलीकरण का समाधान विकेंद्रीकरण, बहुपक्षवाद में सुधार जरूरीः जयशंकर

भूमंडलीकरण का समाधान विकेंद्रीकरण, बहुपक्षवाद में सुधार जरूरीः जयशंकर

 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भूमंडलीकरण का समाधान विकेंद्रीकरण है जबकि बहुपक्षवाद का समाधान 1945 का स्वरूप न होकर सुधरे हुए बहुपक्षवाद के रूप में निकलता है।

जयशंकर ने शुक्रवार को यहां ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि फिलहाल हमले की जद में आ रही दो शब्दावली भूमंडलीकरण और बहुपक्षवाद की हैं।

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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता है कि इनमें से किसी के भी साथ कुछ गलत है। सवाल बस यह है कि इन्हें किस तरह लागू किया गया है। क्या बहुपक्षवाद ने हमें नाकाम किया है। मैं यही कहूंगा कि बहुपक्षवाद का यह स्वरूप अपना काम नहीं कर पाया है।’’

जयशंकर ने यह बात एक परिचर्चा के दौरान कही जिसमें ब्रिटेन के विकास, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय राज्य मंत्री विकी फोर्ड और विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष बोर्ज ब्रेंडे भी शामिल थे।

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जयशंकर ने कहा कि इस समस्या का समाधान असल में अधिक बहुपक्षवाद ही है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘‘हम सभी इस समय क्यों इकट्ठा हुए हैं। इसकी वजह यह है कि हम अब भी संयुक्त राष्ट्र के प्रति भरोसा रखते हैं और इसके जरिये मिलजुलकर रास्ता निकालने में यकीन करते हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस व्यवस्था के संरक्षकों की सोच में संकीर्णता होना गलत है। मैं कहूंगा कि भूमंडलीकरण के बारे में भी यही बात लागू होती है। भूमंडलीकरण का अत्यधिक केंद्रीकृत होना इसकी असल समस्या थी।’’

इस स्थिति के समाधान की ओर इशारा करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘भूमंडलीकरण का समाधान विकेंद्रीकरण है, विकेंद्रित भूमंडलीकरण। मैं कहूंगा कि बहुपक्षवाद का समाधान सुधरा हुआ बहुपक्षवाद है, न कि इसका 80 साल पहले का 1945 वाला स्वरूप।’’ उनका इशारा 1945 में गठित संयुक्त राष्ट्र की तरफ था।

The steam has gone out of globalisation | The Economist

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों का बड़ा हिस्सा दुनिया की मौजूदा स्थिति को लेकर गुस्से में है क्योंकि राजनीतिक रूप से सही होने के नाम पर उन देशों को रोजाना फरेब का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुद से यह सवाल पूछने की जरूरत है कि मौजूदा व्यवस्था कब तक जारी रहने वाली है।

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